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Class 8 Sanskrit
Chapter 11
रामभरतयोः मेलनम्
शब्दार्था:- मेलनम् = मिलन, निवेदयताम् = सूचित किया जाय, राज्यलुब्धायाः = राज्य का लोभी, स्वरसंयोगः = आवाज का संयोग, वलेदयति = आई या गीला करता है, बाढम् = बहुत अच्छा, उपेत्य = आकर, दयितः = प्रिय, भ्रातृवत्सल = भाई के प्रति स्नेह रखने वाला, संक्रान्तम् = प्रकिलित या प्रतिबिम्बिते, रूपम् = छवि/प्रतिबिम्ब, आदर्शः = दर्पण, तिष्ठति = स्थित है, अभिषेकोदकम् = अभिषेक हेतु जल, तिष्ठतु = रखा जाय (डाला जाय), मात्राऽभिहितम् = माता के लिए, प्रतिगृहीतुम = स्वीकार करने हेतु, पादोपभुक्ते = पैरों में पहना हुआ, पादुके = दोनों खड़ाऊँ, प्रयच्छ = दे दीजिए।
भरत- हे तात!
सुमन्त्र- कुमार! यह हैं।
भरत- मेरे पूजनीय आर्य राम कहाँ हैं?
सुमन्त्र- कुमार! इसी आश्रम में राम, सीता और लक्ष्मण रहते हैं।
भरत- हे तात! सूचित किया जाए। सूचित किया जाए। सुमन्त्र- कुमार! क्या सूचित करना है?
भरत- राज्य लोभी कैकेयी का पुत्र भरत आया है, यह।
राम- सब प्रकार से यह अपरिचत के स्वर का संयोग नहीं है, मेरे हृदय को आर्द्र कर रहा है। वत्स लक्ष्मण! देखो तो।।
लक्ष्मण- जो आज्ञा आर्य। (घूमता है) आओ, आओ इक्ष्वाकु कुमार स्वागत है।
भरत- अनुगृहीत हूँ।
लक्ष्मण- बहुत अच्छा। (पास आकर) आर्य की जय हो। “यह तुम्हारा प्रिय भाई ‘भरत’ भाई से स्नेह रखने वाला है, जिसमें तुम्हारी छवि दर्पण की भाँति प्रतिबिम्बित रहती है।”
सीता- आर्यपुत्र! क्या भरत आ गया है?
राम- सत्कृत्य कुमार को शीघ्र प्रवेश कराया जाए। सीता (उसे लेने के लिए) स्वयं जाएँ।
सीता- जो आर्यपुत्र की आज्ञा। (जो आर्यपुत्र आज्ञा देते हैं।) (उठकर घूमती है।)
भरत- आर्या! मैं, भरत अभिवादन करता हूँ।
सीता- चिरकाल तक जीवित रहो। आओ वत्स, भाई का मनोरथ पूरा करो।
भरत- (राम के पास जाकर) आर्य! मैं, भरत अभिवादन करता हूँ।
राम- (खुशी से) कल्याण हो! आयुष्मान हो! दोनों विशाल भुजाओं से मुझे आलिंगन करो।
भरत- अनुगृहीत हूँ। आर्य कृपा करें।
सुमत्र- इसके पश्चात् अभिषेक का जल कहाँ रखा जाये?
राम- जहाँ मेरी माता के द्वारा कहा गया है, वहीं पर रखा जाये।।
भरत- दुःख है। (माता के द्वारा) नहीं कहा गया। परन्तु मेरे हाथ में रखा हुआ आपका राज्य चौदह वर्ष के बाद मैं वापस देना (कि आप उसे वापस ग्रहण कर लो, ऐसा) चाहता हूँ।
राम- राम ऐसा हो।
भरत- आर्य! दूसरा भी वर (वरदान) चाहता हूँ।
राम- वत्स! क्या चाहते हो? मैं क्या देता हूँ?
भरत- पैरों में पहनी हुई आपकी ये (दो) खड़ाऊँ मुझे दे दीजिए।
राम- ऐसा हो! वत्स! गृहण करो।
अभ्यासः
प्रश्न 1.
उच्चारण कुरुत पुस्तिकायां च लिखत
उत्तर
नोट-विद्यार्थी स्वयं करें।
प्रश्न 2.
एकपदेन उत्तरत
(क) रामः सीता लक्ष्मणश्च कुतः स्थिताः आसन्?
उत्तर
आश्रमे।
(ख) पितुः नियोगात् कः वनम् आगतः?
उत्तर
भरतः।
(ग) अन्यमपि वरं कः इष्टवान?
उत्तर
भरतः।
(घ) पादोपभुक्तौ चरणपादुकौ कः अयावत?
उत्तर
भरतः।
प्रश्न 3.
पूर्णवाक्येन उत्तरत
(क) भोः तात! निवेद्यतां निवेद्यतां कः उक्तावन्?
उत्तर
भोः तात! निवेद्यतां निवेद्यतां भरतः उक्तावन।।
(ख) भरतः कस्याः पुत्रः आसीत्?
उत्तर
भरतः कैकेय्याः पुत्रेः आसीत्।।
(ग) लक्ष्मणेन भरतस्य स्वागताय अकथयत्?
उत्तर
लक्ष्मणेन भरतस्य स्वागताय अकथयत् एहि एहि इक्ष्वाकु कुमार! स्वागतम्।
(घ) सीतायाः भरतं प्रति कः आशीषः आसीत्?
उत्तर
सीतायाः भरतं प्रति आशीषः आसीत्-‘चिरंजीव!”
प्रश्न 4.
संस्कृतभाषायाम् अनुवादं कुरुत (अनुवाद करके)
(क) दूसरा वर भी प्राप्त करना चाहता हूँ।
उत्तर
अनुवाद-अन्यमपि वरं इच्छामि।
(ख) राम सीता व लक्ष्मण इस आश्रम में रखते हैं।
उत्तर
अनुवाद-रामः सीता लक्ष्मणश्च एतास्मिन्।
(ग) भरत आ गये।
उत्तर
अनुवाद-भरतः आगतः।।
(घ) मैं अनुगृहीत हुआ।
उत्तर
अनुवाद-अहं अनुगृहीतोऽस्मि।
प्रश्न 5.
अधोलिखितवाक्येषु रेखांकितपदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत
(क) आश्रमे एव रामः सीता लक्ष्मणश्च स्थिताः।।
उत्तर
रामः सीता लक्ष्मणश्च कुत्र स्थिताः?
(ख) एहि वत्स भ्रातृमनोरथं पूरय।
उत्तर
एहि वत्स कि पूरय?
(ग) अन्यमपि वरम् इचछामि।
उत्तर
अन्यमपि किम् इच्छामि?
(घ) तव पादके प्रणताय में प्रयच्छ।
उत्तर
तव के प्रणताय में प्रयच्छ?
प्रश्न 6.
अधोलिखितपदेषु सन्धिं कृत्वा लिखत (लिखकर)-
उत्तर

प्रश्न 7.
अधोलिखितानि पदानि प्रयुज्य वाक्यरचनां कुरुत-
उत्तर
यथा- भरतः

• नोट – विद्यार्थी शिक्षण-सङ्केत’ स्वयं करें।
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